अमेरिकी हवाई हमले (American AirStrike) में मारे गए ईरान (Iran) की सेना के विदेशी यूनिट कुद्स आर्मी के प्रमुख कासिम सुलेमानी (Qassim Suleimani) का उत्तराधिकारी घोषित किया जा चुका है. ईरान के सर्वोच्च नेता आयतुल्ला खमैनी ने ईरानी आर्मी के जनरल इस्माइल काआनी (Esmail Qaani) को कासिम सुलेमानी का उत्तराधिकारी घोषित किया है. अब इस्माइल काआनी ईरान की सेना के विदेशी यूनिट कुद्स आर्मी के प्रमुख होंगे.
ईरान की तरफ से आधिकारिक जानकारी दी गई है कि जनरल इस्माइल काआनी, कुद्स आर्मी के अंतरिम प्रमुख बनाए गए हैं. वो अमेरिकी हवाई हमले में मारे गए कुद्स आर्मी के प्रमुख कासिम सुलेमानी की जगह लेंगे.
शुक्रवार सुबह अमेरिका ने बगदाद एयरपोर्ट पर हवाई हमला किया था. इस हमले में ईरान की कुद्स आर्मी के प्रमुख और देश के दूसरे सबसे ताकतवर शख्स कासिम सुलेमानी मारे गए थे. इस अमेरिकी हवाई हमले की दुनियाभर में चर्चा हो रही है. अमेरिका और ईरान के बीच बढ़े तनाव से पूरी दुनिया चिंतित है.
जनरल इस्माइल काआनी को कुद्स आर्मी का नया प्रमुख बनाए जाने का ऐलान करते हुए आयातुल्ला खमैनी ने कहा कि 'ईरान की कुद्स आर्मी के ये काबिल कमांडर रहे हैं. इन्होंने कुद्स फोर्स में कासिम सुलेमानी के साथ मिलकर कई वर्षों तक काम किया है. अब इन्हें कुद्स फोर्स के एजेंडा को आगे बढ़ाना होगा.'
कौन है ईरान की कुद्स आर्मी का नया प्रमुख इस्माइल काआनी
इस्माइल काआनी ईरान की कुद्स आर्मी में ही डिप्टी कमांडर के पद पर तैनात हैं. कुद्स आर्मी में वो मारे गए जनरल कासिम सुलेमानी के बाद दूसरे नंबर के कमांडर हैं. अब उन्हें कासिम सुलेमानी की गद्दी सौंपी गई है. इराक के युद्ध में जनरल इस्माइल काआनी ने अहम भूमिका निभाई थी. 1980 से शुरू हुए इस युद्ध में इस्माइल काआनी ने सद्दाम हुसैन की सेना से जमकर मुकाबला किया था.
जनरल इस्माइल काआनी के बारे में कहा जाता है कि वो पाकिस्तान और अफगानिस्तान में ईरान की सैन्य गतिविधियों को संचालित करते रहे हैं. इन इलाकों के बारे में उन्हें खासा अनुभव है. जबकि मारे गए कासिम सुलेमानी अरब और मिडिल ईस्ट में ईरान के सैन्य संचालन देख रहे थे.
जनरल इस्माइल काआनी ने सीरिया और यमन में भी सैन्य संचालन किया है. 2014 में ईरान में लिवा अल फातिमन नाम से एक संगठन बनाया गया. ये अफगानी शिया मिलिशिया (लड़ाकों) की सैन्य टुकड़ी थी. जनरल इस्माइल काआनी ने इस सैन्य टुकड़े को बनाने और इसके संचालन में अहम भूमिका निभाई थी. ये लोग सीरिया में असद सरकार के समर्थन में जंग लड़ रहे थे.
2017 में इस सैन्य टुकड़ी के बारे में बताते हुए जनरल इस्माइल काआनी ने कहा था कि 'जब इस्लामिक मूल्यों की रक्षा की बात आती है तो हम किसी भी तरह की सीमा नहीं मानते.'
आयातुल्ला खमैनी से हैं इस्माइल काआनी के अच्छे रिश्ते
1980 से लेकर 1988 तक चले इराक युद्ध में जनरल कासिम सुलेमानी और जनरल इस्माइल काआनी ने मिलकर लड़ा था. इस युद्ध में लाखों लोग मारे गए. इस युद्ध ने इरान के राजनीतिक और सैन्य मनोदशा पर असर डाला.
मिडिल ईस्ट के घटनाओं पर नजर रखने वाले एक अमेरिकी इंस्टीट्यूशन के हवाले से कहा गया है कि इराक युद्ध में जनरल इस्माइल काआनी की भूमिका उतनी बड़ी नहीं थी, जितनी मारे गए कासिम सुलेमानी की. कासिम सुलेमानी एक लोकप्रिय नेता थे. जबकि जनरल इस्माइल काआनी उतने पॉपुलर अफसर नहीं रहे हैं.जनरल इस्माइल काआनी ने मारे गए जनरल कासिम सुलेमानी के अंडर दो दशकों तक काम किया है. इसके पहले कहा जा रहा था कि अगर कासिम सुलेमानी ईरान की राजनीति में जाते हैं तो उनकी जगह इस्माइल काआनी लेंगे. इस्माइल काआनी के पास जंग का लंबा अनुभव है. ईरान की रिवोल्यूशनरी आर्मी कॉर्प्स में उनके अच्छे नेटवर्क हैं. इसके साथ ही ईरान के सर्वोच्च नेता आयातुल्ला खमैनी के साथ उनके संपर्क भी अच्छे हैं. इन्हीं सबकी वजह से उन्हें मारे गए जनरल कासिम सुलेमानी की गद्दी सौंपी गई है.
अमेरिका के खिलाफ आग उगलते रहे हैं काआनी
कई मौकों पर इस्माइल काआनी ने अमेरिका को धमकी दी है. 2017 के ईरान के एक सैन्य कार्यक्रम में उन्होंने कहा था कि किसी भी कार्रवाई में अमेरिका को हमसे ज्यादा नुकसान सहना पड़ेगा. एक बार अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को चेतावनी देते हुए कहा था कि ईरान पर किसी भी तरह का खतरा अमेरिका को बर्बाद कर देगा. उन्होंने कहा था, 'हमने कितनों को दफनाया है..जैसे ट्रंप..हम जानते हैं कि अमेरिका से किस तरह से लड़ना है.'